क्या है डार्क वेब?
गूगल या किसी अन्य ब्राउजर में हम
जब भी कुछ सर्च करते हैं तो हमें लाखों
नतीजे मिल जाते है. हालांकि, यह सिर्फ
4 परसेंट हिस्सा है. जो 96 परसेंट सर्च
रिजल्ट में नही दिखता है, वह डीप वेब
होता है. डीप वेब का ऐक्सेस उसी शख्स
को मिलता है, जिसका उससे सरोकार
होता है. इसी का एक छोटा हिस्सा
डार्क वेब है, जो सायबर अपराधियों की
पनाहगार है. इसमें ड्रग, मानव तस्करी,
अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त
के साथ डेबिट-क्रेडिट कार्ड जैसी
संवेदनशील जानकारियां बेचने जैसे
तमाम गैरकानूनी काम होते हैं.
जब भी कुछ सर्च करते हैं तो हमें लाखों
नतीजे मिल जाते है. हालांकि, यह सिर्फ
4 परसेंट हिस्सा है. जो 96 परसेंट सर्च
रिजल्ट में नही दिखता है, वह डीप वेब
होता है. डीप वेब का ऐक्सेस उसी शख्स
को मिलता है, जिसका उससे सरोकार
होता है. इसी का एक छोटा हिस्सा
डार्क वेब है, जो सायबर अपराधियों की
पनाहगार है. इसमें ड्रग, मानव तस्करी,
अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त
के साथ डेबिट-क्रेडिट कार्ड जैसी
संवेदनशील जानकारियां बेचने जैसे
तमाम गैरकानूनी काम होते हैं.
हैकर्स की जद में आए 13 लाख कार्डस
भारत के लगभग 13 लाख डेबिट
और क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स बिक्री
के लिए उपलब्ध हैं. डार्क वेब पर
यह अब तक का सबसे बड़ा डेबिट
क्रेडिट कार्ड स्कैम है और इसमें से
98 परसेंट भारतीय बैंकों के काड्ड्स
आईबी साइबर सिक्योरिटी ग्रुप फर्म के मुताबिक, 13 लाख कार्ड डीटेल्स एक वेबसाइट पर मौजूद हैं.
जेडीनेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक
ग्रुप आई ने कहा है कि इन काड्ड्स
की डीटेल 100 डॉलर यानी 7 हजार
रुपए में बेची जा रही है. हैकर्स
आम तौर पर बल्क में कार्ड डीटेल्स
खरीदते हैं और फिर इन्हें एक-एक
करकेकरते हैं और सफल होने
यूज पर उन कार्ड्स में कुछ के अकाउंट्स
खाली कर देते हैं. हालांकि क्वार्ड का
सोर्स पता नहीं चल पाया है कि इसे
कहां से लाय गया है
इस तटह डेटा चोरी से बच सकते हैं
किसी भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड को
किसी एटीएम में यूज करने से पहले उस
एटीएम की ठीक से जांच कर लें. कही कोई डिवाइस तो अटैच नहीं है. सुनसान जगह के एटीएम या फिर ऐसा एटीएम जिसे देख कर आपको लग रहा है कि इसके साथ छेड़छाड़ की गई
है, इसमें एटीएम कार्ड न डालें. अगर एटीएम आपसे अलग तरीके के करमंड फॉलो करने के लिए कहे तो अलर्ट हो जाएं, जैसे ट्रांजैक्शन पूरा करने के लिए पिन दो बार एंटर करने को कहे. किसी भी शॉपिंग साइट का इस्तेमाल करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि कही वह साइट फर्जी तो नहीं. सिक्योर सॉकेट्स लेयर (एसएसएल) सर्टिफाइड साइपर ही शॉपिंग करें. सिक्योर साइट्स पर यूआरएल बॉक्स में लॉक-का सिंबल होता है. वेबसाइट के लिंक में एचटीटीपी
प्रोटोकॉल है या नहीं.
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